एमआरआई (MRI) के दौरान छोटी सी लापरवाही कैसे पड़ सकती है जान पर भारी ?


एमआरआई (MRI) के दौरान छोटी सी लापरवाही कैसे पड़ सकती है जान पर भारी ?

बच्चे का एमआरआई (MRI) स्कैन करवाने से पहले किन बातों का रखें ध्यान

एमआरआई (MRI) का मतलब है मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग स्कैन है, जिसमे आम तौर पर 15 से 90 मिनट तक लगते है, शरीर का पूरा परीक्षण होने में। वहीं जहा ये मशीन मदद करती है शरीर की समस्याओं को खुल कर सामने लाने में, वहीं जरा सी लापरवाही ये मशीन बीमारी के साथ व्यक्ति का भी खात्मा कर सकती है। तो आइये जानते है की ये मशीन क्या है और इसमें बरती गई लापरवाही कैसे पड़ सकती है हमारे जान पर भारी ;

क्या है एमआरआई (MRI) स्कैन ?

  • MRI का मतलब है, मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग स्कैन, जिसमें आम तौर पर 15 से 90 मिनट तक का समय लगता है, वहीं ये समय इस बात पर भी निर्भर करता है कि शरीर का कौन-सा, कितना बड़ा हिस्सा स्कैन किया जाना है, कितनी तस्वीरें ली जानी है। 

  • ये मशीन रेडिएशन के बजाए मैग्नेटिक फील्ड पर काम करता है, इसलिए ये एक्स रे और सीटी स्कैन से बिलकुल अलग है। 

  • वहीं अनुभवी डॉक्टरों का कहना है की पूरे शरीर में जहां-जहां हाइड्रोजन होता है, उसके स्पिन यानी घूमने से एक इमेज तैयार होती है। 

  • शरीर में 70 फीसदी पानी होता है ये तो सबको पता है, इसलिए हाइड्रोजन स्पिन के ज़रिए बने इमेज से शरीर की काफी दिक्कतों का पता लगाया जा सकता है। 

  • दिमाग, घुटने, रीढ़ की हड्डी जैसे शरीर के अलग-अलग हिस्सों में जहां कहीं भी सॉफ्ट टिशू होते है, उनका अगर एमआरआई स्कैन होता है। 

अगर आप अपने शरीर का एमआरआई (MRI) स्कैन अच्छे से करवाना चाहते है, तो इसके लिए आप बेस्ट रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर का चयन जरूर से करें।

एमआरआई (MRI) मशीन कितनी तरह की होती है?

  • एमआरआई की मशीन तीन तरह की होती है – 1 टेस्ला, 1.5 टेस्ला और 3 टेस्ला। टेस्ला वो यूनिट है जिसमें मशीन की क्षमता को मापा जाता है। 

  • 3 टेस्ला यूनिट की क्षमता वाली एमआरआई मशीन लोहे की पूरी अलमारी को अपनी ओर खींचने की ताकत को बरकरार रखती है।

  • यानी मशीन जितनी ज्यादा टेस्ला वाली होगी, उतना ही ज्यादा उसका मैगनेटिक फील्ड होगा। 

  • कुछ डॉक्टरों के मुताबिक सोना चांदी पहन कर एमआरआई स्कैन कराया जा सकता है। क्युकि सोने में लोहा नहीं होता है, लेकिन चांदी को पहनने से रोका जाता है क्युकि इसमें लोहे की कुछ हद्द तक मिलावट पाई जाती है।

लुधियाना में MRI का खर्च टेस्ला पर आधारित है, इसलिए जरूरी है की टेस्ट को करवाने से पहले हर टेसले का रेंज जरूर पूछे।

 

एमआरआई (MRI) मशीन का खतरा कब सबसे ज्यादा होता है ?

  • शरीर की जांच और शरीर की रक्षा के लिए बनी ये मशीन कई बार ख़तरनाक और जानलेवा भी साबित हो सकती है, वैसे रूम में दाख़िल होने से पहले ये सुनिश्चित किया जाता है कि मरीज़ के पास कोई धातु की चीज़ ना हो लेकिन कई बार अनजाने में गड़बड़ी हो जाती है। 

  • अगर शरीर के भीतर कोई स्क्रू, शार्पनेल या कारतूस के हिस्से भी है, तो ख़तरनाक साबित हो सकते है। 

  • इसके अलावा मेडिकेशन पैच, ख़ास तौर से निकोटिन पैच लगाकर स्कैन रूम में जाना सही नहीं है क्योंकि उसमें एल्यूमीनियम के कुछ अंश होते है, स्कैनर चलने के वक्त ये पैच गर्म हो सकते है, जिससे मरीज़ मशीन के अंदर ही जल सकता है।

 

क्या होता है एमआरआई (MRI) स्कैन में ?

  • MRI स्कैनर एक सिलेंडरनुमा मशीन होती है, जो दोनों तरफ़ से खुली होती है, फिर जांच कराने वाले व्यक्ति को मोटराइज़्ड बेड पर लेटाकर मशीन के भीतर भेजा जाता है। 

  • कुछ मामलों में शरीर के किसी ख़ास हिस्से पर जाँच के दौरान फ़्रेम भी रखा जाता है जैसे कि सिर या छाती। वहीं इस फ़्रेम में ऐसे रिसीवर होते है, जो स्कैन के दौरान शरीर की तरफ़ से जाने वाले सिग्नल को जल्दी पकड़ते है, जिससे बढ़िया गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेने में मदद मिलती है। 

 

एमआरआई (MRI) जाँच के लिए बेस्ट सेंटर !

अगर आप बिना किसी खतरे के MRI जाँच को करवाना चाहते है, तो इसके लिए आप कल्याण डायग्नोस्टिक्स सेंटर का चुनाव करें। 

 

निष्कर्ष :

एमआरआई (MRI) स्कैन के खतरे से बचने के लिए आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसके बारे में हम आपको उपरोक्त बता चुके है। इसलिए जरूरी है की इस स्कैन के दौरान आपको किसी अनुभवी रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

 

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